सिरोही। श्री पावापुरी तीर्थ-जीव मैत्रीधाम में आचार्य भगवंत श्री मेघवल्लभसूरीजी का कालधर्म होने पर रविवार को प्रातः आचार्य भगवंत श्री उदयवल्लभसूरी एवं ह्रदयवल्लभसूरी की निश्रा में श्री सुधर्मास्वामी व्याख्यान मंडप में सभी साधु भगवंतो एवं श्रावक-श्राविकाओं ने आचार्य के अंतिम दर्शन कर उनका पूजन, देववंदन एवं गुरूवंदन किया।
उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुऐ उनके सांसारिक पुत्र आचार्य उदयवल्लभसूरी ने बताया कि 77 वर्ष में आचार्य बने मेघवल्लभसूरी ने अपने 41 वर्षीय दीक्षा काल में 5 सूरी मंत्र पीठीका, सूरीमंत्र के 1 करोड़ मंत्रो का जाप की अद्भूत साधना की। वे तपस्वी, जपस्वी एवं व्यावच्ची की एक अनुपम मुर्ती थें। मुंबई के सायन का श्रीमंत परिवार ने आज से 41 वर्ष पूर्व पुरे परिवार के साथ जिसमें 2 बेटे एवं श्राविका ने एक साथ दीक्षा ग्रहण की। पूज्य आचार्य भुवनभानु समुदाय के थें।
उन्होने कहा कि पुरे जीवन में साधना एवं आराधना गुजरात-महाराष्ट्र में की ओर मात्र 10 दिन की राजस्थान विहार यात्रा करते हुऐ वे पावापुरी तीर्थ पहुचे ओर यहां आयोजित आध्यात्मिक पारिवारिक साधना शिविर में निश्रा प्रदान की।
उनकी पालकी यात्रा के पहले संगीतज्ञ एवं गुरूभक्त पीयुष भाई मुंबई एवं उद्घोषक परेश भाई शाह ने मधुर स्वरों से पालिकी के चढावे बोले।
जिसमें गुरू-पूजन एवं चंदन विलेपन का लाभ गजराबेन गिरधरलाल परिवार मुंबई, पालकी के आगे के बाये कन्धे का लाभ चीनुभाई शांतिलाल शाह चेतरोज, दाहिने कन्धे का लाभ के. पी. संघवी परिवार मालगांव, पीछे के बाये कन्धे का लाभ मातुश्री शांता बेन रसीकलाल परिवार अहमदाबाद, दाये कन्धे का हर्ष भाई, मुलेन भाई एवं विरेल भाई अहमदाबाद, मुख्य शिखर की लोटी का लाभ मातुश्री नयना बेन विपिन भाई वोरा परिवार अहमदाबाद, बायी लोटी श्री आमली जैन संघ बोपल, दाहिनी लोटी मातुश्री शांता बेन रसीकलाल अहमदाबाद, पीछे की बायी लोटी का अमित एवं मलय भाई बोपल, दाहिनी लोटी का रसीला बेन मोतीलाल जी सांवला परिवार मुंबई ने लाभ लिया।
आचार्यश्री के अग्नि संस्कार का लाभ मातुश्री शांता बेन रसीकलाल परिवार अहमदाबाद नेे लिया। आचार्य भगवंत के सांसारिक परिवार के सदस्यों ने डोली में आचार्य श्री के पार्थिव शरीर को विराजित कर पालकी यात्रा शुरू की। पालकी यात्रा पावापुरी परिसर के गोयनका भवन, आर्ट गेलेरी, गौशाला, मुख्य मंदिर होते हुऐ जल मंदिर पहुंची जहां भक्तो ने जय-जय नंदा, जय-जय भंदा के जोशीले जयनाद के साथ आचार्यश्री का पार्थिव शरीर को अग्नि संस्कार स्थल पर रखा।
जहां पर अग्नि संस्कार के लाभार्थी शांता बेन रसीकलाल जी परिवार के श्री कमलेश भाई एवं शिल्पा बने, हेतलभाई एवं कौशल भाई ने जीवदया प्रेमी श्रेष्ठीवर्य श्री कुमारपाल भाई वी. शाह एवं के पी संघवी परिवार के कीर्ति भाई एवं अमरीश भाई संघवी को साथ में लेकर आचार्यश्री की देह को अग्नि को समर्पित किया। चंदन की लकडी में विधिपूर्वक जाप के साथ अग्नि संस्कार हुआ।
अग्नि संस्कार के लिए राजस्थान, गुजरात एवं महाराष्ट्र के साथ-साथ स्थानीय जैन संघो के श्रावक-श्राविकाएं उनके दर्शनार्थ उपस्थित थे। पावापुरी तीर्थ में आचार्य कलापूर्णसूरी गुरू मंदिर के निकट ही यह अग्नि संस्कार हुआ। आचार्यश्री उदयवल्लभसूरी ने इस अवसर पर अपनी देशना में कहा कि हमें अपने जीवन में आचार्यश्री मेघवल्लभसूरीजी के जीवन से कुछ सीखने ओर समझने की आवश्यकता है इसके लिए उनके जीवन में जो तप-त्याग एवं साधना की गई उससे पे्ररणा लेकर अपने जीवन को सफल बनावें।\
पावापुरी में बनेगा गुरू मंदिर
इस अवसर पर के. पी. संघवी परिवार की ओर से सुधर्मास्वामी मंडप में आचार्य भगवंत उदयवल्लभसूरी म. सा. के समक्ष विनती की गई की आचार्यश्री मेघवल्लभसूरीजी का गुरू मंदिर अग्नि संस्कार स्थल पर बनाया जाये ओर इसका भूमि पूजन 10 फरवरी 2025 को रखा जावें। आचार्यश्री ने इस विनती को स्वीकार करने की घोषणा की तो पंडाल तालियो से गूंज उठा। संघवी परिवार ने 11 फरवरी को पावापुरी तीर्थ की 24 वीं ध्वजा पर निश्रा प्रदान करने की भी विनती की तो आचार्यश्री ने इसको स्वीकार किया।