मैं सरकार से मांग करता हूँ कि मृत गायों की सोशल ऑडिट करवाई जाये और पशुपालकों को प्रत्येक मृत गाय का 50 हजार रूपये मुआवजा दिया जाये
रानीवाड़ा। राजस्थान विधानसभा के सप्तम् सत्र की कल मंगलवार को आयोजित बैठक में गायों में फैली लम्पी स्किन बीमारी पर चर्चा में भाग लेते हुए रानीवाड़ा विधायक एवं भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण सिंह देवल ने कहा कि इस बीमारी की दस्तक हमारे प्रदेश में अप्रेल के महिने में ही हो गई थी लेकिन राज्य सरकार सोती रही और जुलाई में जैसलमेर की गायों में सबसे पहले मामला देखा गया फिर धीरे-धीरे ये प्रदेश के सभी जिलों में फैली गई। आज हालात ये है कि गायें तडप-तडप कर मर रही है और राज्य सरकार राजीव गांधी ग्रामीण ओलम्पिक खेलों में मस्त हो रही है।
इस सरकार की संवेदनशीलता का आलम ये है कि कोरोना के समय जब मानवता पर खतरा आया था तब ये फाईव स्टार होटलों में आराम फरमा रहे थे और अब जब गौमाता पर संकट आया है तो खेलों में मस्त हो रहे हैं। हमारे गांवों में लोगों की आजीविका का सबसे बड़ा साधन पशुपालन ही है और अगर देखा जाये तो पश्चिमी राजस्थान के जिलों में सर्वाधिक गायें पाली जाती हैं। सबसे ज्यादा गायें भी पश्चिमी राजस्थान के जिलों में ही मरी हैं। पशुपालक किसान खून के आंसू रो रहे हैं। गौमाता के मरने का उनका इतना दुख है कि कई-कई दिनों तक भूखे रह रहे हैं।
मैंने अपनी आंखों से ये मंजर देखा है। सरकार ने समय पर ना तो वैक्सीन लगवाई और ना ही दवाईयां उपलब्ध करवाई जिसके भयावह परिणाम सामने आ रहे हैं। लाखों की संख्या मंे गायें मर चुकी हैं। पशुपालकों को बड़ा आर्थिक नुकसान भी हुआ है पर इस सरकार की अभी तक नींद नहीं उडी है। मैं धन्यवाद देना चाहंूंगा हमारे गौसेवकों, गौभक्तों, भामाशाहों और भाजपा के कार्यकर्ताओं को, जिन्होंने गौमाता पर आये इस संकट में रात-दिन बिना कोई चिन्ता किए तन, मन और धन से सेवा की है, वरना सरकार के भरोसे तो अब तक सारी गायें मर चुकी होती।
सरकारी आंकड़ों में केवल 59 हजार गायें मरी हैं पर मैं दावे से कहता हूँ अगर इसकी सोशल ऑडिट करवाई जाये तो आंकड़ा लाखों में जायेगा। मैं सरकार से मांग करता हूँ कि मृत गायों की सोशल ऑडिट करवाई जाये और पशुपालकों को प्रत्येक मृत गाय का 50 हजार रूपये मुआवजा दिया जाये और जो गायें बीमार हैं उनके ईलाज की पूरी व्यवस्था की जाये, वैक्सीनेशन ड्राईव चलाई जाये।