जयपुर, 5 अगस्त। किसी भर्ती वर्ष में सीधी भर्ती हेतु पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग के पात्र एवं उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होने पर आरक्षित शेष पदों को सामान्य प्रक्रिया से नहीं भरे जाने एवं शेष रहे रिक्त पदों को आगामी तीन भर्ती वर्षों तक अग्रणीत किए जाने के संबध में राज्य सरकार द्वारा 28 जुलाई, 2023 को अधिसूचना जारी की गई है। इस सम्बंध में आरपीएससी ने स्पष्ट किया है कि पशु चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2019 का विज्ञापन इस अधिसूचना के पूर्व जारी होने के कारण यह अधिसूचना जारी किए गए परिणाम पर लागू नहीं होती है।
आरपीएससी द्वारा 3 अगस्त, 2024 को पशु चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2019 का परिणाम जारी किया था। इसमें 777 अभ्यर्थियों को मुख्य सूची में सफल घोषित किया गया है। इस भर्ती का विज्ञापन 22 अक्टूबर, 2019 को कुल 900 पदों के लिए जारी किया गया था। इन पदों के लिए संवीक्षा परीक्षा का आयोजन 2 अगस्त, 2020 को किया गया था। संवीक्षा परीक्षा के परिणाम में सफल रहे अभ्यर्थियों के साक्षात्कार का आयोजन 29 सितंबर, 2023 से 11 जून 2024 तक किया गया था।
इस संबंध में आयोग सचिव ने बताया कि किसी भी भर्ती का विज्ञापन जारी करने के समय विद्यमान नियमानुसार ही भर्ती की जाती है। विज्ञापन जारी होने के बाद होने वाला नियम संशोधन पूर्व की भर्तियों पर लागू नहीं किया जा सकता है। उक्त भर्ती के विज्ञापन में उल्लेखित नोटः-2 के अनुसार नियमानुसार मुख्य चयन सूची में अति पिछड़ा वर्ग के 20 पद एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 21 पद इन श्रेणियों के अभ्यर्थियों के नियमानुसार न्यूनतम उतीर्णांक नहीं आने के कारण सामान्य प्रक्रिया से भरे गए हैं।
अनुसूचित जाति वर्ग के 39 तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के 63 पदों को इन वर्गों के न्यूनतम उत्तीर्णांक प्राप्त अभ्यर्थियों के न होने के कारण रिक्त रखा गया है। राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न रिट याचिकाओं में पारित अंतरिम आदेशों की पालना में 21 पद रिक्त रखे गए हैं एवं 349 अभ्यर्थियों का परिणाम सील्ड कवर में रखा गया है। मुख्य सूची में चयनित 777 अभ्यर्थियों का चयन सुप्रीम कोर्ट में लंबित एसएलपी एवं राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर व जोधपुर में लंबित विभिन्न याचिकाओं के अध्यधीन रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने उक्त भर्ती के संबंध में 31 मई, 2024 को परिणाम जारी करने एवं चयनित अभ्यर्थियों के हक में कोई भी अधिकार उच्चतम न्यायालय के अंतिम निर्णय होने तक उत्पन्न नहीं होने का आदेश दिया है।