रानीवाड़ा। राज्य सरकार की ओर से विश्वविद्यालय क्षेत्राधिकार के पुनर्निधारण को लेकर जारी आदेशों की महाविद्यालयों के संचालक विरोध कर रहे है। उनका कहना है कि राज्य सरकार के गलत फैसलों के कारण कॉलेजों को फुटबाल बना दिया है। जिससे स्टूडेट्स सहित कॉलेज संचालक प्रभावित हो रहे है।
बता देते है कि उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. फिरोज अख्तर ने 15 जुलाई 2022 को एक परिपत्र जारी कर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय एवं एमडीएम विश्वविद्यालय के कुलपतियों को निर्देशित किया कि पूर्व में 19 मई 2022 को अधिसूचना जारी कर जालोर व बाड़मेर जिलों की समस्त कॉलजों को जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय से सम्बद्धता हटाकर एमडीएम विश्वविद्यालय से जोड़ी थी। उक्त अधिसूचना को विखंडित करने के आदेश जारी किए गए है। अब बाड़मेर व जालोर की तमाम सरकारी व नीजि 170 कॉलेज पुन जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से सम्बद्ध हो जाएगी।
ऐसे आदेशों को लेकर नीजि कॉलेज संचालक तुगलकी आदेश करार दे रहे है। एमडीएम विश्वविद्यालय पूर्व में एमडीएम इंजिनियरिंग कॉलेज हुआ करती थी। जिसे अपग्रेड कर विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था। अब जेएनवीयू की ओर से सब कुछ अच्छा व समय पर चल रहा था तो ऐसे में एमडीएम की ओर से नया सेटअप करते तीन साल लग जाते। हो सकता है तकनिकी तौर पर एडीएम अच्छा करते।
नीजि कॉलेज संचालक रोहित विश्नोई बताते है कि राज्य सरकार कॉलेजों को फुटबाल ना समझे। पूरी व्यवस्था को बदलने में वक्त लगता है। पहले हमे एमडीएस विश्वविद्यालय अजमेर, फिर जेएनवीयू, फिर एमडीएम और अब वापस जेएनवीयू से जोड़ा गया। दोनों जिलों की 170 कॉलेजों से सालाना 50 करोड़ की राजस्व प्राप्ति होनी तय थी। ऐसे में सरकार को एमडीएम को नया फंड देने की जरूरत नही थी। अब निर्णय को बदल दिया गया है। इसको नीतिगत फैसला नही कहा जा सकता।