रानीवाड़ा। राजस्थान विधानसभा के सप्तम् सत्र की गुरूवार को आयोजित बैठक में प्रदेश में बिजली की स्थिति पर चर्चा में भाग लेते हुए रानीवाड़ा विधायक एवं भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण सिंह देवल ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार बिजली प्रबन्धन में नाकाम रही है जिसका परिणाम है कि पिछले एक साल से राजस्थान में बिजली का संकट बना हुआ है। लोड शैडिंग के नाम पर प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अघोषित विद्युत कटौती हो रही है।
किसानों को खेती के लिए केवल 4 घंटे ही बिजली मिल रही है और उसमें भी बार-बार ट्रिपिंग आ रही है जबकि हमारी सरकार सरकार में किसानों को निर्बाध रूप से 8 घंटे बिजली आपूर्ति होती थी और घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे सिंगल फेज बिजली दी जाती थी। आज प्रदेश की जनता कह रही है कि भाजपा राज में बिजली जाती नहीं थी और कांग्रेस राज में बिजली आती नहीं है। फीडर रिनोवेशन प्रोग्राम के लिए इस सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर में पिछले 2 साल से एक रूपया खर्च नहीं किया है, सारे फीडर खराब पड़े हैं जिसकी वजह से ट्रिपिंग और फॉल्ट की समस्या बनी हुई है।
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना पर हमारी सरकार ने 622 करोड़ रूपये खर्च किए थे, इस सरकार ने केवल 55 करोड़ रूपये खर्च किए हैं। सौभाग्य योजना में भी लगातार बजट की कटौती की जा रही है। सब स्टेशन इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम पर पिछले 3 साल में एक रूपया भी खर्च नहीं किया गया है। सारे सब स्टेशन खराब चल रहे हैं। हमारी सरकार के समय किसानों के कृषि कुओं के जले हुए ट्रांसफार्मर 72 घंटे में बदले जाते थे अब ये हालात हैं कि 63 एचपी के ट्रांसफार्मर 1 महिना, 40 एचपी के 22 दिन और 25 एचपी के ट्रांसफार्मर मंें 12 दिन की वेटिंग चल रही है। बूंद-बूंद योजना के कृषि कनेक्शन नहीं हो रहे हैं, किसानों को डिमाण्ड भरे हुए 1 साल से ज्यादा हो गया है। डिविजन और सब डिविजन ऑफिसों में पोल, तार, इंसुलेटर, केबल जैसे सामान नहीं हैं, कनेक्शन हों तो कैसे हों।
राजस्थान की 2750 ढ़ाणियां ऐसी हैं जो पिछले 20 दिन से अंधेरे में हैं। हर जिले में ब्लैकआउट चल रहा है। विद्युत वितरण कम्पनियां सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं, कभी फिक्स चार्ज के नाम पर, तो कभी फ्यूल सरचार्ज के नाम पर, तो कभी सिक्योरिटी डिपोजिट के नाम पर। अभी भी सिक्योरिटी डिपोजिट के नाम पर लोगों को 500 रूपये से लेकर 20000 रूपये तक के नोटिस थमाए जा रहे हैं।
गरीब आदमी कहां से जमा करवायेगा। ये सरकार पूरी तरह से बिजली प्रबन्धन में नाकाम रही है। कंपनियों के बड़े अधिकारी जयपुर के एसी कमरों में बैठकर मॉनिटरिंग करते हैं इससे बिजली कंपनियों का भला नहीं होने वाला। इनको फील्ड में भेजो तब पता चलेगा कि जनता किस हालत में है।