जयपुर। सूबे की सरकार नए मोड और मूड में दिखाई दे रही है। सबका साथ और सबका विकास का नारा लगाने वाली भजनलाल शर्मा सरकार का कहर पहली बार सरकारी हाई स्कूलों के प्रिंसिपलों के तबादलों पर पडा है। इसकी शुरूआत दौसा जिले से शुरू हुई है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के एंग्री पॉलिटिशियन रोल ने 40 की सूचि में से 13 को उत्तरप्रदेश सरहद से पाकिस्तान सरहद की ओर भेज दिया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के इन आदेशों पर समग्र सूबे में तीव्र प्रतिक्रिया हो रही है।
बता देते है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक आशीष मोदी ने आदेश जारी कर 40 प्रिंसिपलों के तबादले किए है। पूरे आदेश एक दो को छोडकर दौसा जिले से किए गए है। सोचनेवाली बात यह है कि 40 में से 13 प्रिंसिपलों के तबादले बाडमेर और जैसलमेर की अन्तर्राष्ट्रीय सरहद के सरकारी हाई स्कूलों में किए है।
हालात साफ है कि इन हैड मार साहबों के तबादले इनकी योग्यता को देखते हुए सरहदी विस्तार की स्कूली शिक्षा को बेहतरीन बनाने के लिए नही होकर एक तरह की सजा की तरह है। गौर करने वाली बात यह है कि ये सभी प्रिंसिपल मीणा समाज से जुडे हुए है।
शिक्षा मंत्री की यह खीज इन प्रिंसिपलों पर भारी पड रही है। जाति विशेष के अधिकारियों को चुन चुन कर तबादले करने से सरकार की तस्वीर मीणा समाज सहित अन्य आदिवासी समाजों में नकारात्मक बनेगी। शायद इसका मलाल सूबे की सरकार को नही है। इतना ही नही, इन 13 प्रिंसिपलों में 7 प्रिंसिपल एक को छोडकर सभी मीणा समाज की महिला वर्ग से आती है।
इन तबादलों से लगता है कि दौसा लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में सत्तासीन पार्टी को यथाचित नतीजे हासिल नही हुए है। जिनका ठिकरा इन तालिमदारों के उपर फोडा जा रहा है। खैर, यह तो शुरूआत है। आगे देखो क्या होने जा रहा है। उप चुनावों को लेकर तो कहीं, ये तबादले नही हुए है। जनता जागरूक है। सब समझती है।