रानीवाडा के लिए ऐतिहासिक पल, जालोर सांचोर के हर क्षेत्र को समेटा गया है पुस्तक में
जालोर। राज्यपाल राजस्थान हरिभाऊ बागड़े ने राजभवन जयपुर में डॉ. दीपक जोशी की पुस्तक “अपना जालोर” का विमोचन किया।
“अपना जालोर” पुस्तक राजस्थान के पश्चिमी जिले जालोर के सांस्कृतिक इतिहास और वहां के प्रेरणादायक व्यक्तियों की जीवनी पर आधारित है। जालोर, जो अपनी ऐतिहासिक धरोहर और विविध सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है, ने भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। पुस्तक में जालोर की भूगर्भिक संरचना, जलवायु, मिट्टियाँ, कृषि, नहरे, बांध, पशुपालन, वन्यजीव, इतिहास और संस्कृति का विशेष उल्लेख किया गया है, जो पाठकों को जालोर की समृद्ध प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराती है।
पुस्तक में ऐतिहासिक व्यक्तित्वों का गहन विश्लेषण किया गया है। इसमें ऋषिराज जाबाली, महाराजा कान्हड़देव, महाराजा वीरमदेव, अद्भुत वीरांगना हीरादे, ब्रह्मगुप्त, और कवि माघ जैसे महान व्यक्तित्वों का जीवन परिचय शामिल है। इन व्यक्तियों ने न केवल जालोर बल्कि समग्र भारतीय समाज में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। विशेष रूप से, ऋषिराज जाबाली को भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, जिन्होंने धर्म और ज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया।
इसके अलावा, पुस्तक में जालोर के समृद्ध इतिहास के प्रतीक अन्य व्यक्तित्वों जैसे निम्बा राम देवासी और भोला राम देवासी का भी उल्लेख किया गया है, जो भारतीय राजस्व सेवा में अपनी सेवाएँ दे रहे है। मदनराज बोहरा, जिन्होंने जालोर में ग्रेनाइट के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, का भी उल्लेख है। ये सभी व्यक्ति जालोर के बच्चों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, क्योंकि वे अपने क्षेत्रों में उच्च पदों पर आसीन हैं।
राज्यपाल ने कहा कि, “यह पुस्तक केवल जालोर के इतिहास को नहीं, बल्कि वहां की सांस्कृतिक विविधता और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य को भी उजागर करती है।” उन्होंने डॉ. दीपक जोशी के प्रयासों की सराहना की, यह कहते हुए कि ऐसे कार्य जालोर के विकास और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस पुस्तक में जालोर के गौरवशाली दर्शनीय स्थलों का भी उल्लेख किया गया है। जैसे जालोर का किला, जो अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है; तोपखाना, जहां कभी युद्ध सामग्री संग्रहीत की जाती थी; सिरे मंदिर और सुंधा माता मंदिर, जो धार्मिक आस्था के केंद्र हैं। भीनमाल का वराह श्याम जी मंदिर और क्षेमकरी माताजी मंदिर भी जालोर की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं, जिन्हें पुस्तक में विस्तार से वर्णित किया गया है।
डॉ. दीपक जोशी ने पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा, “इस पुस्तक को बनाने में मुझे लगभग 2 वर्षों की मेहनत लगी है। मेरा उद्देश्य जालोर की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना और उसे अगली पीढ़ी के सामने लाना है।” उन्होंने कहा कि यह पुस्तक जालोर के इतिहास में एक स्वर्णिम पृष्ठ साबित होगी, जो आने वाली पीढ़ियों को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने में मदद करेगी।
अपना जालोर पुस्तक के लिए उदयपुर राजपरिवार के पूर्व सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, पूर्व कलेक्टर एवं वर्तमान जयपुर कलेक्टर जितेंद्र सोनी, और पुलिस उपमहानिरीक्षक विकास शर्मा जैसे कई प्रमुख हस्तियाँ ने अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की है, इन्होंने डॉ. जोशी के इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की।
“अपना जालोर” को जालोर की संस्कृति और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए एक अनमोल संदर्भ माना जा रहा है। यह पुस्तक न केवल ज्ञानवर्धक है, बल्कि जालोर की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने का भी एक प्रयास है।