सोने चांदी के गहनों के साथ शहनाई बजी, सामाजिक समरसता की चर्चा चहुंओर
रानीवाडा तहसील के डूंगरी गांव में सामाजिक समानता और समरसता का एक बेहतरीन उदाहरण देखने को मिला है। गांव में भील समाज के परिवार की आर्थिक हालत कमजोर होने और बेटी पर पिता का हाथ नही होने पर राजपूत परिवार आगे आया है। उन्होंने धूमधाम से अपने निवास पर बारात को आमंत्रित कर सामाजिक रीति रिवाजों और धूमधाम से बेटी के हाथ पीले कर ससुराल रवाना किया है। ऐसा बेहतरीन उदाहरण प्रशंसा के काबिल होने से चर्चा में आना आम बात है।
हम बात कर रहे है डूंगरी गांव की। गांव में भील समाज के मुखिया मफाराम की मौत होने के बाद परिवार में कमाने लायक नही होने और बेटी के युवा होने पर गांव के देवडा राजपूत समाज के गोदसिंह पुत्र मोहब्बतसिंह ने इस परिवार को मदद करने का निर्णय लिया। भील समाज के लोगों को एकत्रित कर बेटी की शादी का पूरा खर्च उठाने और उन्ही के कृषि फॉर्म पर शादी करने का प्रस्ताव पेश किया। जिसे भील समाज के लोगों ने खुशी खुशी स्वीकार कर लिया।
भील समाज की बेटी रंगुकुमारी का रिश्ता सामाजिक रीति रिवाजों के अनुसार आजोदर निवासी गोकुलराम से किया गया। शादी का मुहुर्त 18 अप्रेल का तय कर बारात को देवड़ा कृषि फॉर्म पर आमंत्रित किया गया। ढोल थाली और नांच गाने के साथ बारात का स्वागत कर विधि विधान और पंडितों की मौजूदगी में वर वधु को मंडप में फेरे देकर विवाह के गठबंधन में बंधवाया। इस मौके पर भील समाज के पंचों को भी राजपूत परिवार की ओर से आमंत्रित किया गया। सामूहिक भोज की व्यवस्था करवाई गई।
ग्रामीण नरेन्द्रसिंह देवड़ा ने बताया कि वधु रंगुकुमारी को देवडा परिवार की ओर से 6 ग्राम सोना, 37 तोला चांदी के जेवरात सहित रसोईघर और रोजाना इस्तेमाल में आने वाला तमाम सामान देकर बेटी को घर से विदाई दी गई। डूंगरी में पूर्व में भी राजपूत समाज की ओर से सामाजिक समरसता के कई उदाहरण पेश किए गए है। क्षेत्र में सामाजिक सौहार्द और आपसी रिश्ते मजबूत करने के लिए डूंगरी के राजपूत समाज की बेहतरीन पहल अन्य समाजों के लिए प्रेरणा बन सकती है।