सरहद पार गुजरात के थरा से एमबीए करने वाली नेत्रा ने दीक्षा लेकर संयम का मार्ग अपनाया है। जिन्हें परम पूज्य साध्वी श्रीनिजानंदी यशाश्रीजी म. नाम से धार्मिक पहिचान मिलेगी। साढ़े छह वर्ष की आयु में उनके जीवन पर दीक्षित संयमैला की परम पूज्य सुलश्राश्रीजी म.सा. के उपनिषदों का अद्वितीय प्रभाव पड़ा।
शाह नेत्रबेन हरनेशभाई का जन्म 24 साल पहले 16/09/1999 को कांकरेज तालुका के थरा की धन्यधरा के शाह हरनेशभाई चंपकलाल (लेथवाला) की बेटी के रूप में हुआ था। मात्र साढ़े छह वर्ष की आयु में उनके जीवन पर दीक्षित संयमैला की परम पूज्य सुलश्राश्रीजी म.सा. के उपनिषदों का अद्वितीय प्रभाव पड़ा।
इसी बीच एम.बी.ए. तक अध्ययन करने के बाद उन्होंने दीक्षा ले ली और संयम का मार्ग अपना लिया। जो परम पूज्या साध्वी श्रीनिजानंदी यशाश्रीजी म. सा की धार्मिक पहचान हासिल कर ली है. रविवार 3 मार्च प्रातः 5.30 बजे जैन साइंस सिटी विज्ञान तीर्थ शंकेश्वरपुरम तीर्थ प्रेरक परम पूज्य आ. देव श्री लब्धिचंद्र सा. सुरिजी, उन्होंने अपनी सास, ससुर हरनेशभाई की उपस्थिति में गुरु भगवंत सहित चार सदस्यीय समूह की उपस्थिति में अपना घर छोड़ दिया।
सुबह 6 बजे मंडप प्रवेश और मंगल दीक्षा समारोह प्रारम्भ किया गया। सुबह 8.30 बजे श्री सकल संघ की नवकारशी, दोपहर 12 बजे श्री सकल संघ स्वामीवात्सल्य, दोपहर 2 बजे सत्तार भेदी पूजा की गई। आज सोमवार सुबह 6 बजे पूज्य सूरीभगवंत एवं पूज्य साध्वीजी भगवंत के साथ नवदीक्षित परम पूज्य साध्वीजीश्री निजानंदी यशाश्रीजी म.सा. के प्रांगण में हुआ। गुरुमा ने स्वयं और उससे परे के बारे में जानकारी देते हुए दीक्षा लेने का फैसला किया।
साढ़े छह वर्ष तक उनके जीवन पर दीक्षित संयमैलकी पूज्य सुलश्रश्रीजी म.सा. के उपनिषदों का अद्वितीय प्रभाव रहा। पूज्या साध्वी श्रीनिजानंदी यशाश्रीजी म. एस की मान्यता प्राप्त कर संयम का मार्ग अपनाया। नेत्रा शाह के जीवन पर गुरुमा दीक्षित संयमिलाकी परम पूज्य सुलश्राश्रीजी म.सा. के उपनिषदों का बहुत प्रभाव पड़ा। वह साढ़े छह साल की बाल्यावस्था से ही गुरुमां के उपनिषदों को आत्मसात कर लेती थीं। गुरु माँ ने कहा, मैं कौन हूँ जो साक्षीभाव का वस्त्र पहन कर उपलब्धि का सच्चा सेतु बन जाऊँगी? इस तरह का भाव रहा। थरा गांव में खुशी का माहौल है।