पाटन। शंखेश्वर जैनतीर्थ में भगवान पार्श्वनाथ प्रभु की आठवीं तपस्या मंगलवार से शुरू हो रही है। बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालु जो तपस्या करने जा रहे थे, शंखेश्वर स्थित 108 पार्श्वनाथ भक्ति विहार में विराजमान गच्छनायक ज्योतिषाचार्य राष्ट्रीय संत श्री हेमचंद्रसूरीश्वरजी महाराज ने उन्हे आठवें तप की महिमा बताई।
पूज्यश्री ने कहा कि तीन दिन के उपवास में पहले दिन शरीर शुद्ध होता है, दूसरे दिन मन शुद्ध होता है। जब शरीर और मन शुद्ध हो जाते हैं, तो शरीर को शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की संरक्षक देवी धरणेंद्र पद्मावती का आशीर्वाद मिलता है। पांच महातीर्थों में स्वर्णिम महातीर्थ शंखेश्वर विश्व का आश्चर्य तो है ही, करोड़ों नहीं करोड़ों से भी अधिक लोगों ने यहां ऐसी आठवीं तपस्या की है। लगातार तीन बार व्रत करने से 100 व्रतों का फल मिलता है जबकि महातीर्थ से हजारों व्रतों का फल मिलता है। तप के साथ जप करने से ही तप का करोड़ों गुना फल मिलता है।
तीन दिनों में भगवान शंखेश्वर पार्श्व के नाम से 125 माला का जाप करना होता है। पहले दिन 40 मनके, दूसरे दिन 40 मनके और तीसरे दिन 45 मनके गिनें। भगवान महावीर ने दर्शाया है कि 25वें भव में लगातार 11,80,645 महीनों तक क्षमा का पालन किया गया। 27वें भव, 111 दो वर्ष के निर्जला उपवास में शंखेश्वर पार्श्वनाथ दादा कलिकाल कल्पतरु एवं जाग्रत ज्योति हैं। दादा की भक्ति से भवोभव के कष्ट दूर हो जाते हैं।