रानीवाड़ा। संत शिरोमणि पीपा महाराज की 701वीं जयंती पीपा क्षत्रिय दर्जी समाज द्वारा धूमधाम से गई। जयंती की पूर्व संध्या पर पीपाजी महाराज मंदिर परिसर में भजन संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें स्थानीय भजन गायक सहित कई कलाकारों ने विभिन्न प्रस्तुतियां देकर उपस्थित भक्तों को मंत्र मुग्ध कर दिया। शहर में मंगलवार को सजी धजी झांकियों के साथ शोभायात्रा निकाली गई।
पीपा क्षत्रिय संस्थान 9 पट्टी के अध्यक्ष भीखाराम डाभी ने बताया कि संत शिरोमणि पीपा महाराज की जयंती हर साल की तरह धूमधाम से मनाई गई तथा शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा संत श्री पीपाजी मंदिर से रवाना होकर सदर बाजार, पुलिस स्टेशन, रेल्वे स्टेशन, सांचौर सड़क, पंचायत समिति मार्ग, हाईस्कूल होते गरबा चौक पहुंची। जहा व्यापार मंडल की ओर से स्वागत किया भी किया गया। बाद में पीपाजी मंदिर में शोभायात्रा विसर्जित हुई।
इस दौरान आगे आगे बालिकाएं कलश लेकर चली उनके पीछे भगवान शिव, हनुमान तथा पीपा महाराज की झांकियां थी और उनके पीछे समाज के सैकड़ों लोग और महिलाएं थी। पूरे कार्यक्रम में दर्जी समाज के कोषाध्यक्ष सांवलाराम, सचिव लाखाराम, उपाध्यक्ष मोहनलाल, मुकड़लाल, नरेशकुमार जाखड़ी, बाबूलाल, उत्तमचन्द भीनमाल, भंवर परिहार, मफतलाल रानीवाड़ा सहित सभी लोग उपस्थित रहे।
कौन थे पीपाजी महाराज
राजर्षि प्रतापराव यानि पीपाजी का जन्म विक्रम संवत 1417 में चौत्र शुक्ल पूर्णिमा को झालावाड़ के गागरोन गढ़ चौहान वंशीय खींची शाखा के महाराजा कड़वाराव के यहां माता लछमावती के हुआ था। पीपाजी के 12 रानियां थीं। 12 साल तक गागरोन पर राज करने के बाद पीपाजी ने अपने भतीज कल्याणराव को राजपाट सौंपकर पत्नी के साथ भक्ति में लीन हो गए। वे रामानंद के 12 शिष्यों में से एक थे। उन्होंने तलवार को छोड़कर सुई को महत्व दिया। संत पीपा जी ने आत्मिक और आध्यात्मिक जागृति के साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों और हिंसा आदि का पुरजोर विरोध किया।