रानीवाड़ा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जालोर के आदेशानुसार ग्राम पंचायत आखराड़ के गांव डाडोकी में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में देश के कानून की आम बोली में जानकारी देने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रयासरत है। इसमें अब नवाचार कर वेशभूषा पहनकर कानून की जानकारी देने में रोचकता पैदा की जा रही है।
पैरा लीगल वालंटियर यानि पीएलवी राकेश कुमार भील ने आदिवासियों के अधिकारों संरक्षण, प्रवर्तन और बाल विवाह निषेध अधिनियम की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि सेंटर फॉर सोशल जस्टिस एक ढांचे के भीतर महिलाओं के अधिकारों, भूमि अधिकारों, श्रम अधिकारों और वन अधिकारों के मुद्दों से निपटता है। जो आदिवासियों और राज्य के बीच संबंधों का विश्लेषण करता है। संगठन लगातार आदिवासी अधिकारों, प्रगतिशील कानूनों और आदिवासियों की शिक्षा और कौशल निर्माण के लिए सरकारी योजनाओं के बीच मौजूद जुड़ाव को समझने का प्रयास करता है।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह सामाजिक अभिशाप और कानूनी अपराध है। किसी भी व्यक्ति ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बाल विवाह में सहयोग किया तो दो साल की जेल और एक लाख रूपए तक जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। इसलिए सभी लोग मिलकर बाल विवाह नहीं करने का संकल्प लें और बाल विवाह पर पूर्ण रुप से रोक लगाए।
इसके साथ ही शिविर में माता पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण अधिनियम, लोक अदालत, स्थाई लोक अदालत प्रिलिटिगेशन, सहित विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उपस्थित मेट हरकाराम, तेजाराम, जानूराम, सविता, पंखु, अनिता, मफी, भगी सहित कई महिलाओं के साथ ग्रामीण मौजूद रहे।