- जिले की पांच विधानसभाओं के 308 गांव और 1058 ढाणियों में नर्मदा के पानी के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 850 करोड़ स्वीकृत किये।
- नर्मदा नीर संघर्ष समिति ने भाजपा के धरने को बताया झूठा श्रेय लेने की नोटंकी।
न्यूज़ नेटवर्क जालोर।
भीनमाल शहर में नर्मदा का नीर समय पर उपलब्ध कराने की मांग को लेकर नर्मदा नीर सँघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने जयपुर जाकर मुख्यमंत्री कार्यालय में उच्च स्तर पर समाधान वार्ता की। मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रमुख शासन सचिव कुलदीप रांका, जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल और जन अभाव अभियोग निराकरण समिति के चैयरमेन पुखराज पाराशर ने करीब आधे घण्टे तक नर्मदा नीर संघर्ष समिति के पदाधिकारियों से पानी में देरी को लेकर मौके पर आ रही दिक्कतों और समाधान को लेकर बिंदुवार मीटिंग की। समीक्षा में सामने आया कि नर्मदा प्रोजेक्ट का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, अब शेष बचे काम को समयबद्ध तरीके से पूरा करने को लेकर कार्यकारी एजेंसी और सम्बंधित अधिकारियों को पाबंद किया जाएगा। नर्मदा नीर सँघर्ष समिति के चेताया कि अगर इस प्रोजेक्ट में अब अनावश्यक देरी हुई तो हजारों लोग सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेंगे।
यह जानकारी जालोर में शनिवार को रखी पत्रकार वार्ता में नर्मदा नीर संघर्ष समिति मॉनिटरिंग कमेटी के मोहन सिंह सिसोदिया और उनकी टीम ने दी। सिसोदिया ने कहा कि नर्मदा का पानी भीनमाल को समय पर देने में अब अगर सरकार ने वादा खिलाफी की तो भीनमाल में निर्णायक आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि नर्मदा प्रोजेक्ट का 90 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है। अब शेष बचे काम को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में उच्च स्तर पर जाकर बिंदुवार बातें सरकार के ध्यान में लायी है। ऐसे में काम जल्दी पूरा होने की उम्मीद है। सिसोदिया ने कहा कि
नर्मदा पानी के मुद्दे पर संघर्ष समिति को जन अभाव अभियोग समिति के चैयरमेन पुखराज पाराशर का बहुत सहयोग मिल रहा है। सिसोदिया के मुताबिक भीनमाल के नर्मदा नीर लाने को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण सिंह राठौड़ हमारे और सरकार के बीच सेतू की भूमिका निभाने का काम कर रहे है। पिछली बार भी उन्होंने ही जयपुर ले जाकर हमारी पुखराज पाराशर और चीफ सेक्रेटरी से मुलाकात कराई थी। सिसोदिया ने पत्रकार वार्ता में कहा कि हज़ारों लोगों के आंदोलन और राज्य सरकार के सहयोग की वजह से ही नर्मदा नहर का प्रोजेक्ट अब पूरा होने वाला है। ऐसे में नर्मदा नहर के पानी का झूठा श्रेय लेने को लेकर भाजपा के सांसद देवजी पटेल, भीनमाल विधायक पुराराम चौधरी और जिलाध्यक्ष श्रवण सिंह राव भीनमाल में धरने पर बैठकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
सिसोदिया ने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव से पहले 2017 में इन्हीं भाजपा नेताओं ने भीनमाल में बड़ा कार्यक्रम करके नर्मदा नहर का उद्घाटन किया था। अब अगर जिले के सभी भाजपा नेता नर्मदा नहर के लिए धरना दे रहे है, तो फिर 2017 में उन्होंने भीनमाल में नर्मदा पाने आने का कैसे उद्घाटन किया था ? भाजपा नेता अब जनता को जवाब दें कि भीनमाल की जनता के वोट लेने के लिए क्यों नर्मदा का पानी आने का झूठ बोला।
जिले के लिए 850 करोड़ रुपये स्वीकृत :- नर्मदा नीर संघर्ष समिति मॉनिटरिंग कमेटी के मोहन सिंह सिसोदिया ने पत्रकार वार्ता में बताया कि आंदोलन का सुखद परिणाम ये है कि जालोर जिले के पांच विधानसभा क्षेत्र के 306 गांवों और 1058 ढाणियों में नर्मदा नीर पहुंचाने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी ने क्लस्टर योजना में 850 करोड़ रुपये स्वीकृत किये है। इसके लिए सरकार का आभार। सिसोदिया ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री कार्यालय में सरकार के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात के दौरान इस क्लस्टर योजना की निगरानी, तय समय में सामान, पाइप लाइन, कार्यकारी संस्था की मॉनिटरिंग के लिए अच्छे अधिकारियों की नियुक्ति करने, कार्ययुद्ध स्तर पर चले और एक साल में काम पूरा हो जाये तो सार्थकता होगी।
भीनमाल के साथ पहले भी हुआ धोखा :-
नर्मदा नीर संघर्ष समिति मॉनिटरिंग कमेटी के मोहन सिंह सिसोदिया के मुताबिक 2008 में जब जालोर जिले में नर्मदा नहर का आगमन हुआ,उस समय प्रदेश में वसुन्धरा सरकार थी, और राजनैतिक द्वेषता के कारण भीनमाल शहर को पेयजल व्यवस्था से कोसों दूर रखा, कारण यहाँ तब विधानसभा का प्रतिनिधित्व कांग्रेस का था, तो इस योजना को पीपीपी मोड में डाल दिया और शेष जिले की योजना बनाकर भीनमाल के साथ सौतेला व्यवहार किया गया। जैसे नर्मदा नहर से भाद्राजुन की दूरी 250 किलोमीटर हैं, वहाँ नर्मदा पेयजल की पिछले दस वर्षों से आपूर्ति हो रहीं हैं, और भीनमाल की महज 75 किलोमीटर दूरी हैं वो आज भी पेयजल के लिए तरस रहाँ हैं । सिसोदिया के मुताबिक 2011 में भीनमाल नगर ने पेयजल के लिए आन्दोलन किया, उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे। वे जालोर के दौरे पर आये तो भीनमाल नर्मदा संघर्ष समिति का प्रतिनिधि मण्डल जालोर सर्किट हाउस में मिला और नगर की वेदना से अवगत करवाया। 2013 में मुख्यमंत्री के भीनमाल नगर सहित 307 गाँव व 1078 ढाणियो का ईआर प्रोजेक्ट बनाकर कान्टेक्ट भी spml कंपनी से करते हुए अक्टूबर 2016 तक कार्य पूर्ण करने का तय किया था।
2013 के अंत में पूनः
वसुंधरा राजे सरकार का राजस्थान में आगमन हुआ,
कम्पनी को अक्टूबर 2016 कार्य को पूर्ण करवाने की जिम्मेदारी वसुंधरा राजे सरकार की थी, लेकिन इस सरकार मे कम्पनी ने मात्र मलाई वाला काम आधी अधूरी पाइपलाइन डालकर 248 करोड़ रूपये बटोर कर 2016 में spml कंपनी रफूचक्कर हो गई।
2016 से नवम्बर 2018 तक भाजपा के किसी भी जन प्रतिनिधि ने नर्मदा के पानी को लेकर कोई प्रयास नहीं किया। सिसोदिया के मुताबिक
2018 अंत में राजस्थान में अशोक जी गहलोत के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ, तब भीनमाल नगर को आशा की किरण पुनः दिखाई दी। इस सरकार ने पूनः spml के स्थान पर श्री हरि कम्पनी जो जयपुर की हैं, उसको कान्टेक्ट दिया। वर्तमान में कार्य चल रहा है। अब कंपनी और नर्मदा के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से देरी हो रही है। सरकार ने पूर्व में 31 जून तक पानी पहुंचाने का समय दे रखा है, अगर तय समय पर पानी नहीं आया तो नर्मदा संघर्ष समिति रणनीति बनाकर ऐतिहासिक आंदोलन करेगी।
पत्रकार वार्ता में नर्मदा नीर संघर्ष समिति के दिनेश दवे नवीन, ओमप्रकाश माहेश्वरी, श्याम खेतावत, दिनेश भट्ट और सांवलाराम परमार, प्रकाश परमार मौजूद रहे।