रानीवाड़ा। श्री क्षत्रिय युवक का 79वां स्थापना दिवस रविवार को रानीवाड़ा उपखंड के मेडक गांव की राजपूत कोटडी में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक श्री तन सिंह जी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर राजपूत समाज के सैकड़ों युवा इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत रावत मानवेन्द्रदेव सिंह देवड़ा ठिकाणा बडगांव, पुलिस उपाधीक्षक भवानीसिंह इंदा समेत वरिष्ठजनों के द्वारा दीप प्रज्वलन और शाखा की बालिकाओं द्वारा प्रार्थना के साथ की गई। संघ के स्वयंसेवक नाहरसिंह जाखडी ने कार्यक्रम की भूमिका बताई। गणपतसिंह मेडक ने संघ की कार्यप्रणाली का परिचय कराया, जबकि छैलसिंह रतनपुर ने संघ के आनुषांगिक संगठन श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के बारे में जानकारी दी।
रावत मानवेन्द्रसिंह बडगांव ने कहा कि हमें संघ के मर्म को समझना चाहिए और भविष्य में इसे अपनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि श्री तनसिंह जी ने कोई नया मार्ग नहीं बताया, बल्कि राम और श्री कृष्ण का मार्ग ही बताया है। हमें उन भावनाओं को अपने व्यवहार में लाने का अभ्यास करना होगा। उन्होंने बताया कि वह भावनात्मक संबंध जिसे हमसे पहले राम और कृष्ण ने निभाया, उसे फिर से जागृत करने का मार्ग श्री क्षत्रिय युवक संघ है।
श्री क्षत्रिय युवक संघ के तहसील प्रमुख प्रवीणसिंह सुरावा ने बताया- श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना 22 दिसंबर 1946 को पूज्य श्री तन सिंह जी द्वारा की गई थी। उन्होंने कहा कि जब देश में अंग्रेजों से आजादी की आहट सुनाई दे रही थी, तो श्री तन सिंह जी ने भविष्यवाणी की थी कि भारत का भविष्य कैसा होगा और उसमें क्षत्रिय समाज की भूमिका क्या होगी। अपने महान पूर्वजों के अनुरूप राष्ट्र में क्षत्रिय समाज की भूमिका तय करने के लिए उन्होंने श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना की थी।
रेवतसिंह जाखडी ने बताया कि आज श्री क्षत्रिय युवक संघ का स्थापना दिवस सम्पूर्ण भारत में हर्षाेल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर श्री क्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक भगवान सिंह रोलसाहबसर द्वारा भेजे गए नववर्ष संदेश का वाचन भी किया गया।
इस कार्यक्रम का आयोजन में रानीवाड़ा उपशाखा की स्वयं सेविकाओं की मुख्य भूमिका रही, जिसमें लगभग सैकड़ों की संख्या में राजपूत समाज के नारी शक्ति और पुरुष वर्ग मौजूद रहे। कार्यक्रम में प्रवीणसिंह सुरावा, रेवतसिंह जाखड़ी, गणपतसिंह जाखडी, अनोपसिह करडा, छैलसिंह रतनपुर, एडवोकेट पूरणसिंह जोडवास, गणपतसिंह मेडक, नाहरसिंह जाखडी सहित अनेक राजपूत समाज के लोग मौजूद थे।