जालोर जिले का जंगल महकमा यानि वन विभाग कितना कडक है, वो बता आज एक अलग तरिके से सामने आई है। पर्यावरण के दुश्मन यानि जंगल को काटने वाले कथित माफिया लोगों ने वन विभाग की कार्यवाही का अलग अंदाज में विरोध करना शुरू किया है। उन्होंने एक पारंपरिक लोक गीत की रचनाकर उसे संगीतमय धुन बनाकर वन विभाग को प्रेषित की है।
डीएफओ यानि उपवन संरक्षक देवेन्द्रसिंह भाटी बताते है कि जालोर जिले में वन विभाग अलर्ट मोड पर है। अवैध आरा मशीन गतिविधियों, खासकर बागोड़ा तहसील की राह एवं खोखा गांव में अवैध आरा मशीनों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही के फलस्वरुप अवैध आरा मशीन संचालकों द्वारा निवेदन स्वरूप एक संगीतमय प्रस्तुति की गई है। जो प्रदर्शित करता है कि राज्य सरकार के वन अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत वन मंडल जालौर द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है।
अवैध आरा मशीने संचालित करने वाले लोगों ने अपना दर्द बयान करते हुए दास्तान को संगीतमय गीत के द्वारा प्रस्तुत की है। इसके बोल को भी आकर्षक बनाकर वन विभाग को निवेदन किया गया है। कुछ अंश पेश है। आरा मत रोको रेंजर साहब..आरा बिना मारो मन नहीं लागे, राह गांव माने विरंगों लागे, खोखा गांव माने सुनो लगे, खोखा नगरी सुनी लगे, गुलाम मेहर गायक की अरदास, आरो रे कारण, गाव छुटियो, आरो रे कारण अन्न पाणी छुटियो, गाड़ी घोड़ा बंद होया, कुन बेरीडा लारे लगे, आरो माथे परिवार पले, आरो बिना महरो मन नहीं लागे, बरसो री मेहनत बीती जावे, बरसो री मेहनत एड़ी जावे, दिन न रात एक किया।
नतीजन, एक बात स्पष्ट है कि जालोर जिले का जंगल महकमा एक्वि मोड पर है। अवैध आरा मशीन संचालकों में खौफ है। विभाग अभियान चलाकर दर्जनों मशीनों को जब्त कर चुका है। जिलेवासियों को वन विभाग पर काफी भरोसा है।